अब कौन जीता कौन हारा , यह साफ़ नहीं हो तो ? चलो भई आप ही समझा दो। हाँ जी वही बिहार के चुनाव की बात। अभी आप भी भूले न होंगे ; ढोल नगाड़े की आवाज़ अभी गूंज रही है। बर्फी का स्वाद भी तो मुँह से नहीं गया होगा ? पर जीता कौन ?
अच्छा आप मेरी बुद्धि पे तरस खा रहे हैं ; भई सब जानते हैं नीतीश कुमार विजयी रहे हैं। हां 115 सीटें थी 2010 में और इस बार आई …… 71 ; पूरी 44 कम। यह जीतना होता है कि हारना ? इसी बिना पर तो हम बीजेपी को हारा मान रहे हैं। 2010 में थी 91 सीट और इस बार आई 53; यानि 38 कम। तो ये हार हुई कि ना ? 38 कम पे हार, 44 कम पे जीत? 24.4 % मत अधिक हैं की 16 . 8 %। चलो जाने दो।
फिर ये गुलाल अबीर किस के लिए उड़े ; और दीवाली से पहले की दीवाली ? अच्छा,अच्छा याद आया। यह जीत है बिहार के सर्वहारा ;शोषित , दलित ;गरीब;अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग की। जिन्होंने न सिर्फ लोकतंत्र की रक्षा की बल्कि सांप्रदायिक शक्तियों को भी कुचल दिया ! कुछ सुना सुना सा लगता है न आपको ; मुझे भी ऐसा ही आभास होता है।पिछले दशकों में लगभग हर चुनाव के बाद यही सुनाई दिया है। 68 वर्षों से गरीब का काम हैं सांप्रदायिक शक्तियों को कुचलना और लोकतंत्र की रक्षा करना। शोषित , गरीब और पिछड़े इतने सालों में शोषित , गरीब और पिछड़े ही रहे हैं। 35 वर्ष कांग्रेस ने उनकी पीठ पे "हाथ" रखा। 15 साल फिर लालूजी ने "लालटेन" से उनका मार्ग दर्शन किया। पिछले लगभग 10 वर्षों से नितीश जी उनको "तीर" की तरह प्रगति के पथ पे लिए जा रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि अबतक कहीं पहुंचे नहीं। इतने शोषित , गरीब और पिछड़े फिर भी "जीतने " के लिए बचे हैं।
आप यकीन से कह सकते हैं कि शोषित , गरीब और पिछड़े जीते हैं ? वैसी जीत जैसी गुजरे 68 सालों में होती रही है , या अब कुछ और तरह की है ? अच्छा ये कांग्रेस भी 4 सीट से 27 तक आ गयी है। ज्यादा दूर न जाएँ तो बोफोर्स तोप में छोटे मोटे कमीशन से चलते चलते राष्ट्रमंडल खेल के 7000 करोड़ के घोटले से होते हुए 176 लाख करोड़ के 2 जी स्कैम तक ; इसका सफर बड़ा प्रगतिशील रहा है। कांग्रेस जीती मानी जाएगी ?
इससे याद आया कि लालूजी जीते हैं। पिछली बार थी 22 और अब है 80; ये तो मानेंगे ? अच्छा मोदी जी को जुमला बाबू का ख़िताब मिलने से पहले लालूजी ही अपने जुमलों के लिए विख्यात थे। जी साहिब मुझे याद है यह वही लालूजी हैं जो जमानत पर हैं और चारा घोटाले में ससुराल की यात्रा कर आए हैं। न्यायालय ने चुनाव के लिए अयोग्य बताया है। फिर भी चुनाव जीते हैं ! बिना लड़े! इसे कहते हैं जीत। पिछली बार अपनी धर्म पत्नी को परदे के आगे रख के शासन किया ; इस बार धर्म भाई … ना , ना, ना पुत्रों की बात न करें। एक पिता अपने संतान को आगे न लाएगा तो क्या आपकी संतान के बारे में परेशान होगा। किस दुनिया में रहते हैं जी ?
अच्छा मै गलत समझ रहा हूँ। विजयी कांग्रेस नहीं ; न ही लालूजी। ये सब अकेले थोड़ी न है। यह तो मिलजुल के नितीश जी के साथ हैं। सिर्फ सुशासन के लिए ही तो ! बस और क्या। हाँ जी ; जिसकी चाहे कसम खिला लो! जीते तो नितीश बाबू ही हैं !
पर प्रभु वो 115 से 71 वाली बात का क्या ?
लगता है आप समझा नहीं पाएंगे और मैं समझ नहीं पाऊंगा। इस मौज़ू पर मिर्ज़ा ग़ालिब ने पहले ही कह रखा है ,:-
" हज़रते नासेह गिरानी , दीदा ओ दिल फर्श ए राह
कोई मुझको ये तो समझा दो कि समझाएंगे क्या "
चले इस किस्से पे मिटटी डाले । आज सचमुच ही दीवाली है। अपने परिवार और मित्रों सहित हसीं ख़ुशी मनाइये। मेरी तरफ से मंगल कामनाएं।
अच्छा मै गलत समझ रहा हूँ। विजयी कांग्रेस नहीं ; न ही लालूजी। ये सब अकेले थोड़ी न है। यह तो मिलजुल के नितीश जी के साथ हैं। सिर्फ सुशासन के लिए ही तो ! बस और क्या। हाँ जी ; जिसकी चाहे कसम खिला लो! जीते तो नितीश बाबू ही हैं !
पर प्रभु वो 115 से 71 वाली बात का क्या ?
लगता है आप समझा नहीं पाएंगे और मैं समझ नहीं पाऊंगा। इस मौज़ू पर मिर्ज़ा ग़ालिब ने पहले ही कह रखा है ,:-
" हज़रते नासेह गिरानी , दीदा ओ दिल फर्श ए राह
कोई मुझको ये तो समझा दो कि समझाएंगे क्या "
चले इस किस्से पे मिटटी डाले । आज सचमुच ही दीवाली है। अपने परिवार और मित्रों सहित हसीं ख़ुशी मनाइये। मेरी तरफ से मंगल कामनाएं।