Painting by Rob Gonsalves |
लाख कोशिश भी की पर याद जाती ही नही।
तुम यूं ही बस घबराते हो ,छिपते हो ; दिखते ही नही।
इत्तफ़ाकन टकरा गए तो भी क्या पहचानेगे ? नही !
पहले ही क्या पहचाना ? समझते सुनते थे , माना ही नही !
बड़ी गाड़ी में कौन बैठा है ; सवारी बस से दिखता ही नही।
एहतियातन अपना मुँह फेर लेना ; यूं ही बस !
चेहरे की रंगत तुम्हारी चुगली न कर बैठे ; बस !
ये अच्छा रहेगा। अजनबियत का नाटक करना न पड़ेगा।
मन भर चुका है मंच से ; आँखों से सच टपक पड़ेगा।
यूं ही बस तुम्हारे पास होने का अहसास होता है।
खुदा भी तो नज़र आता नहीं ; यूं ही बस होता है।
तुम तो खुदा नही ,आ सकती थी सामने। आती तो क्या होता ?
तुम जुदा हो। सलाम न करती; तस्लीम करती तो क्या होता ?
क्यों करती ? था क्या ? ख़ामख़्वाह ; जबरदस्ती ; बस यूं ही ?
कभी मिलो। कुछ कहना सुनना न पड़ेगा। यूं ही , बस यूं ही!
Roman script follows:-
Shql vo kisi surat ab yaad aati hi nahi.
lakh koshish bhi ki pr yaad jati hi nahi.
Tum yoon hi bus gabrate ho,chipte ho; Dikhte hi nahi.
Itifaqan takra gaye to bhi kya pehchanege? Nahi !
Pehle hi kya pehchana ? samajhte sunte the , mana hi nahi !
badi gadi may kaun baitha hai ; sawari bus se dikhta hi nahi.
Ahtiyatan apana muh fer lena ; Yoon hi bus !
Chehre ki rangat tumahari chugli na kar baithe; bus !
Ye accha rahega. Ajnabiyat ka natak karna na padega.
Man bhar chukka hai manch se ; ankhon se sach tapak padega.
Yoon hi Bus tumhare paas hone ka ahsas hota hai.
Khuda bhi to nazar aata nahi ; yoon hi bus hota hai.
Tum to Khuda nahi,aa sakti thi saamne. Aati to kya hota ?
Tum juda ho. Salaam na karti; tasleem karti to kya hota ?
Kyon karti ? Tha kya ? Khamakhwah ; Jabardasti ; bus yoon hi ?
Kabhi milo. Kuch kehna sunana na padega. Yoon hi, Bus yoon hi!
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