Monday, September 1, 2025

ऐसा कैसे !

La Femme Quite Pleure (The weeping woman) by Pablo Picasso
Oil on  canvas,  1937,  61x50 cm.     Tate Museum.


अब बची ही कितनी थी,जिंदगी घिसट रही थी जैसे कैसे।
निकल जाते खामोशी से, ये दरवाज़ा बेवक्त खटका कैसे?
हवा थी ये , फिर उसमें तुम्हारी खुशबू आई तो फिर आई कैसे?

जीना यूं ही मुश्किल था, अब मरे भी तो  मरे कैसे?
जाओ अपना कत्ल तुम्हे माफ किया, प्यार है, करता न कैसे?
 ये खुद को जो तुमने ज़ाया किया, उसकी माफी कभी न दूंगा। दूं भी कैसे?

आओ दिखाएं मुस्कुराती आंखों से जी भर भर कर रोते हैं कैसे?
रोम रोम में बसने वाले को पराई बाहों में देख   रोज़ चिता पर दहकते हैं कैसे?
हर पल जिनके के साथ था जीना , बिन उनके हम बूढ़े हुए तो कैसे? 

सिखाएं तुम्हे जादू;  टूटे वादे को सपनों में  फिर जोड़ते हैं कैसे?
देखो हर रोज़ जहर पी पी कर फिर से सासों को झेलते हैं कैसे?
उम्र भर के दगा का दाग हंसकर रोकर पालते हैं कैसे?

मेरी कोई चीख तुम तक पहुंची ही नहीं, तुम्हारा सिसकना मुझे दिखेगा कैसे?
ताउम्र मेरी हर बात अनसुनी रही,तुम्हारी चुप कहीं सुनेगी कैसे?
ये होगा कैसे; वो होगा कैसे; कुछ भी होगा क्या? पर होगा कैसे?









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